प्रकाश पर्व का समापन हो चुका है लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि जितने भी श्रद्धालु यहां पधारे थे। वे सब यहां से अविश्वश्नीय और अविस्मरणीय यादें लेकर अपने प्रदेश को लौटेंगे। मैं कुछ दिन पहले ही तख्त श्री हरिमंदिर साहिब जाकर आई हूं। बहुत खूबसूरत नजारा देखने को मिल रहा था। ऐसा कहीं से भी नही लग रहा था कि यह किसी एक समुदाय का समारोह है। हर समुदाय के लोग गुरु पर्व में रमे हुए दिखाई पड़ रहे थे।
मेरी पटना साहिब का यात्रा सुखमय नहीं रही परन्तु वापसी में कुछ सिख श्रद्धालु ऑटो में हमारे साथ लौट रहे थे। उनसे बात करते-करते सफर कैसे बीत गया मालूम ही नहीं पड़ा। मैं और मेरी दोस्त अल्का ऑटो में बैठे थे। अंकल ने हमसे पूछा आप स्टूडेंट हो? हम दोनों ने अपना सिर हिलाकर हां कहा। शुरू में हमें थोड़ी हिचकिचाहट हो रही थी, पर बाद में हम भी सहज महसूस करने लगे। फिर उन्होंने पूछा किस कॉलेज से हो आप लोग? “पटना वीमेंस कॉलेज” हमने कहा। फिर उन्होंने पूछा कौन सा कोर्स? तो हमने कहा जर्नलिज्म यह सुनते ही उनकी दिलचस्पी और बढ़ गई। फिर वो कहने लगे तब तो मैं आपसे कुछ पूछना चाहता हूं आपके शहर के बारे में। मैंने भी कहा ज़रूर। आप बताओ कि इससे पहले इतने बड़े स्तर पर कोई समारोह हुआ है? और इसे लेकर आपके शहर में क्या-क्या बदलाव आया है?
वैसे सवाल तो मुझे पूछने चाहिए। खैर, हमने कहा इससे पहले ऐसी व्यवस्था, ऐसी सजावट और इस प्रकार का समारोह मेरे होश रहते तो नहीं हुआ है। और जहां तक बात है बदलाव की तो सड़कें बनी है, सड़कों से अतिक्रमण हटाया गया है और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है। मैंने कहा अब मेरी बारी आप बताओ की आपको यहां आकर कैसा लग रहा है, यहां के लोग कैसे लग रहे हैं और सरकार की तरफ से व्यवस्था में कोई चूक नजर आ रही है? उन्होंने कहा बिहार सरकार ने व्यवस्था करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। बहुत ही लगन से सभी चीज़ों का ख़याल रखा गया है, बहुत हीं बढिया इंतजाम किये गये हैं। रही लोगों की बात तो वह भी काफी सहयोग कर रहे हैं, रास्ता बताने में और जो भी उनसे बन रहा है वो कर रहे हैं। और सबसे बड़ी बात लोग बढ-चढ कर गुरु पर्व में हिस्सा ले रहे हैं। गांधी मैदान के बाहर दो किमी तक की लम्बी कतारें लगी पड़ी हैं पर लोग इसकी शिकायत नहीं कर रहे हैं। शांति से खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने केवल एक बात की शिकायत की कि यदि स्थानीय लोग थोड़ी समझदारी दिखाए और दो दिन बाद जाकर गुरुद्वारे का दर्शन करें तो बाहर से आये हुए लोगों को कम भीड़ का सामना करना पड़ेगा। गुरुद्वारे के पास आज स्थिति बेकाबू नजर आ रही थी। गुरुद्वारा तो हमेशा के लिए यहीं रहने वाला है। उन्होंने कहा। उनकी शिकायत तो सही थी, पर मैंने उनसे कहा भी कि लोगों ने कभी ऐसा भव्य आयोजन देखा नहीं था तो उन्हें काफी उत्सुकता है सब कुछ देखने और जानने की। उन्होंने भी मेरा समर्थन किया।
फिर उन्होंने हम दोनों से पूछा आप सिख रिलिजन के बारे में कुछ जानते हो? मैंने कहा हां बहुत तो नहीं मगर कुछ कुछ जानती हूं। फिर मैंने उन्हें बताया कि गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के 10वें गुरु हैं और इन्होंने ही सिखों को 5 ककार (केश, कृपाण, कच्छा, कड़ा और कंघा) हमेशा अपने साथ रखने का आदेश दिया था। वह ये जान कर बहुत खुश हुए और कहा मुझे बहुत अच्छा लगा कि आप लोगों को हमारे रिलिजन के बारे में इतनी बातें मालूम है। हमने यूंही बातों-बातों में पोस्टर देख कर कहा “जी आयां नू”। तो उन्होंने ने पलट कर पूछा आपको इसका मतलब पता है ? मैंने कहा जब मैंने पहली बार पोस्टर देखा था तब गूगल से पता लगा कि इसका मतलब वेलकम होता है। हमारा स्टॉप आ चुका था। हमने जाते-जाते उन्हें गुरुपर्व की बधाई दी और अच्छी यादें अपने साथ ले जाने को कहा।
हम भी इस प्रकाश पर्व की वजह से काफी प्रसन्न हैं क्योंकि एक बार फिर हमारा बिहार सुर्खियों में है, न्यूज की हेडलाइन बना हुआ है। लेकिन मैट्रिक की परीक्षा में हुए नकल की वजह से नही, आतंकी ठिकानों के लिए नहीं या बिहार के लोगों द्वारा किए गये गलत बयानबाजी की वजह से नहीं बल्कि एक साकारात्मक कार्य के लिए है, शांति, भाईचारा और धार्मिक सौहार्द फैलाने के लिए चर्चा में बना हुआ है। यह दृश्य और लाखों श्रद्धालुओं के चेहरे पर मुस्कान देखकर मेरा मन भी गद-गद हो गया।
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