एक लड़के द्वारा बेली डांस का प्रदर्शन। सुनकर अजीब लगता हैं ना, क्योंकि नृत्य की इस प्रसिद्द शैली का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में हमेशा इसे प्रस्तुत करते हुए एक महिला की ही छवि उभरती है। आमतौर पर महिला कलाकारों द्वारा ही इसे प्रस्तुत किया जाता रहा है, लेकिन अब लड़के भी इसे सीख रहे हैं और इन सीमाओं को तोड़ रहे हैं।
हालांकि यह अभी बहुत प्रचलित नहीं है और इसके पीछे कई तर्क दिए जाते हैं जो कि प्रमुख रूप से समाज की पित्रसत्तात्मक सोच से प्रभावित रहे हैं। हमारे समाज में मर्द और स्त्री के बीच इस तरह का बंटवारा हैं कि नृत्य की इस शैली को भी महिलाओं तक ही सीमित किया गया है और यदि कोई मर्द इसे सीखना चाहे या इसे प्रस्तुत करना चाहे तो उसे घर-परिवार, दोस्तों और उसके आस-पास के लोगों के भारी विरोध और तानों से गुजरना पड़ता है।
लेकिन इन सब के बावजूद कुछ लोग ऐसी कोशिशें कर रहे हैं क्योंकि नृत्य का सम्बन्ध आपके स्त्री या पुरुष होने से नहीं बल्कि यह आपके व्यक्तिगत रुझान पर निर्भर करता है। देखिये समाज में स्थापित इन वर्जनाओं (taboo) को तोड़ते हुए बैली डांस कलाकारों ईशान हिलाल और वासु चौहान द्वारा नृत्य की इस शैली को अपनाने के सफ़र को दर्ज करता यह छोटा सा विडियो-
Video Courtesy: 101 India
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