अक्सर आपने देखा होगा या खबर सुनी होगी कि फलां देश में फलां जगह एक लड़की ने अपनी वर्जिनिटी की बोली लगाई, हिंदी में कहे तो कौमार्य की नीलामी और इसके बाद पता चलता है कि उसके पास इतने लाख आवेदन आये!
आखिर ऐसा क्या होता है कौमार्य में जिसे लेकर पुरुष वर्ग इतना उत्साहित रहता है? बस यही कि पहली बार शारीरिक संबंध के दौरान महिला की योनी से निकलने वाली रक्त की बूंदे देख सके या उसकी चीखने की आवाज सुन सके? यदि इसे मानसिक तृप्ति से जोड़कर देखा जाये तो फ्रायड जैसे मनोचिकित्सक इस सोच वाले लोगों को किस श्रेणी में रखेंगे? अच्छा महिला के कौमार्य से चरित्र मापने वाले क्या बता सकते हैं कि पुरुष की वर्जिनिटी मापने के लिए उसने कितनी तकनीक खोजी, कितने वर्जिनिटी टेस्टर बनाये?
पता नहीं यह प्रसंग यहाँ कितना एहमियत रखता है किन्तु आजकल चीन में इसे लेकर काफी बहस है। हाल ही में चीन में एक टीवी सीरियल के बहाने इन दिनों लड़कियों के कुंवारेपन पर बहस छिड़ी हुई है। कहने को चीन कितनी भी आर्थिक तरक्की कर चुका हो पर आज भी सामाजिक सोच के स्तर पर भारत के पिछड़े समाज से तुलना की जा सकती है। सवाल यह है कि क्या आज के चीन में भी लड़कियों के लिए कुंवारी होना सबसे बड़ी धरोहर है? चीन के सबसे मशहूर टीवी सीरियल “ओड टू जॉय” ने इस बहस को देश में व्यापक पैमाने पर छेड़ दिया है।
हालाँकि यह विषय भारत में वर्जित ही माना जाता रहा है। इस विषय पर बात करने तक को चरित्र की सीमा से जोड़ने में देर नहीं लगाते। पूरा सच तो यहाँ लिखा भी नहीं जा सकता और ना ही यहाँ पढ़ा जायेगा। उल्टा अपनी सोच छोड़कर मुझसे सवाल शुरु हो जाएंगे। क्योंकि यहाँ ऋषि वात्सायन द्वारा लिखित कामसूत्र को धार्मिक पुस्तक और कामसूत्र फिल्म को अश्लील माना जाता है।
मामला एक देश का नहीं बल्कि कई देशों की सोच का है। इंडोनेशियन नैशनल पुलिस में नए महिला सिपाहियों की शारीरिक तथा नौतिक शक्ति सिद्ध करने के लिए उनके कौमार्य की जाँच की जाती है। तो दक्षिण अफ्रीका में वर्जिनिटी टेस्ट में पास लड़कियों को ही कुछ स्कूल छात्रवृति प्रदान करते है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का तर्क है कि ऐसी जांच निजता का हनन है। शिक्षा के अवसर और वर्जिनिटी को जोड़कर देखना सही नहीं है। अब आप सोच रहे होंगे खैर ये तो पिछड़े देश है इनका क्या गीत गाना।
यदि भारत की बात करें तो यहाँ हर रोज संस्कृति के कथित रखवाले को रोते देखा है कि देश पश्चिमी संस्कृति में डूब रहा है। सिर्फ अनपढ़ ही नहीं, कई पढ़े-लिखे लड़के भी लड़कियों के शरीर उसकी चाल को देख कर निर्णय करते दिखाई दे जाते हैं कि उसका यौन जीवन कैसा है। पैर फैला कर चलने वाली लड़कियां यौन सम्बन्ध बना चुकी होती हैं। कुछ तो ये भी समझते हैं कि जो लड़कियां पहली बार यौन सम्बन्ध बनाने पर रोती या चिल्लाती नहीं हैं, वो वर्जिन नहीं होती। असल में यदि लड़की सेक्स के दौरान कामोत्तेजित होती है, तो ऐसा दर्द नहीं होता है कि वो चीखने लगे। शर्म और लज्जा की बात तो यह कि कई जगह वर्जिनिटी खोने को सील टूटना तक कहा जाता है। जैसे महिला एक जीवित देह न होकर पैक सामान हो!
अभी तक एक शर्माती हुई लड़की कांपते हाथों से नजरें नीची कर चाय का ट्रे लेकर आती थी, लोग उससे पूछते थे—कहाँ तक पढ़ी हो ‘खाना बनाना आता है’? बस इतना जानने के लिए कि लड़की तुतलाती तो नहीं या फिर ये सब शादी की एक रस्म में शरीक सा था पर अब समय बदला सोच बदली और शादी से पहले लड़के और लड़कियाँ बातें करते हैं और उनकी बातों में वो सब शामिल होता है जिसे अब तक वर्जित समझा जाता था।
मैं पिछले दिनों ही पढ़ रहा था कि लड़कों में वर्जिनिटी की ख़्वाहिश ख़त्म नहीं हुई है। वो लड़की से उसके ब्वॉयफ्रेंड के बारे सिर्फ इसलिए पूछते मिल जायंगे ताकि उसके कौमार्य का परीक्षण किया जा सके। इस मामले में लड़कियों का बेबाक होना उनकी मुखरता को दर्शाता है। लड़के जब किसी लड़की से उसके प्रेम संबध के बारे में पूछते हैं तो उनके लिए यह ‘अनैतिक’ सच जानने की तरह होता है जबकि लड़कियां इस मामले में ज़्यादा ईमानदार होती हैं। लड़कियों को लगता है कि उनके संबंधों के बारे में कोई किसी और से पूछे, इससे बढ़िया है कि वह ख़ुद ही साफ़-साफ़ बता दें। जो लड़कियाँ आत्मनिर्भर हैं उन्हें इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि ऐसा कहने से रिश्ता ख़त्म हो जाएगा। वो बराबरी का व्यवहार चाहती हैं और यह हमारे समाज के लिए अच्छा है।
इसके बाद जब एक लड़की शादी करके अपने ससुराल आती है। सुहागरात पर उसका पति कमरे में आता है उसकी पहली चाह यह जानने की होती है कि बीवी वर्जिन है या नहीं। सुबह यार दोस्त आसानी से पूछते मिल जाते है खून कितना निकला या नहीं?? मतलब अज्ञानता के कारण एक स्वच्छ रिश्ते में आसानी से रक्त खोजते मिल जायेंगे। क्या वाकई यह रिश्ता भी खून से ही मजबूत होता है?
क्या कभी किसी ने ऐसा सुना है कि किसी महिला ने शादी की पहली रात पति को अपमानित कर कहा हो कि तू वर्जिन नहीं में अपने घर जा रही हूँ ? शायद नहीं!! लेकिन महिलाओं के मामले में आप ऐसी ढेरों कहानियाँ पढ़ सकते है जिनमें उन्हें शादी के बाद वर्जिनिटी खोने की कीमत चुकानी पड़ी हैं।
2013 मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें शामिल होने आई 90 आदिवासी महिलाओं समेत 350 महिलाओं का वर्जिनिटी और प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया गया था वर्जिनिटी टेस्ट में फ़ेल महिलाओं की शादी समारोह से निकाल दिया गया था। पर एक पुरुष का वर्जिनिटी टेस्ट तो दूर यह तक नहीं पूछा गया कि क्या आप वर्जिन हो या नहीं?
आज भी, कई लोग लड़की का शादी तक वर्जिन होना बहुत जरूरी मानते है। यही कारण है कि वर्जिनिटी से जुड़े हुए बहुत से मिथक समाज में फैले हैं। हमारे देश में सेक्स-एजुकेशन तो न के बराबर है, जो सीखना होता है लोग पॉर्न देख कर ही सीखते हैं। वर्जिनिटी को किसी एक तरह से नहीं समझाया जा सकता। वर्जिन किसको समझा जाता है, अधिकतर लोग ऐसा मानते हैं कि जिस लड़की ने कभी सेक्स नहीं किया हो, वो वर्जिन होती है और जिसने किया है अरे वो खराब है…
The post हंगामा है क्यों बरपा वर्जिनिटी जो खो दी है… appeared first and originally on Youth Ki Awaaz, an award-winning online platform that serves as the hub of thoughtful opinions and reportage on the world's most pressing issues, as witnessed by the current generation. Follow us on Facebook and Twitter to find out more.