“शायद वो आज जीवित होती तो अपने पति से कई गुना ज्यादा कमा सकती थी, शायद वो आज जीवित होती तो अपनी अद्भुत बौद्धिक क्षमता से अपनी कई पीढ़ियों का भविष्य उज्ज्वल बना सकती थी। पर अब महज़ अफसोस है…
अगर आप छोटे शहरों में रहते हैं और ये सोचते हैं कि “दिल्ली, मुंबई, कोलकाता में रहने वाले आधुनिक और पढे लिखे परिवार दहेज नहीं मांगते हैं तो आप बहुत बड़े भ्रम में जी रहे हैं। हालही में भारत के सबसे प्रतिष्ठित कालेज आई. आई. टी , दिल्ली से पीएचडी कर रही” मंजुला देवक “ द्वारा अपने हॉस्टल में की गई आत्महत्या ने बहुत बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं और एक” Educated, Modern “लड़की New india or old india से लड़ते लड़ते सामाजिक आत्महत्या का शिकार हो गई। (ध्यान रहे सामाजिक आत्महत्या से मेरा मतलब समाज द्वारा मजबूर करने पर की जाने वाली आत्महत्या है)
मंजुला, भोपाल की रहने वाली थी, मंजुला ने IIT से MTech किया था, मंजुला की शादी 2013 में हुई थी। आत्महत्या के कारण का खुलासा होने पर एक बात जो साफ हो गई वो ये कि” जगह दिल्ली हो या मुंबई, भोपाल हो या पटना, परिवार मॉडर्न हो या देसी, लड़की डॉक्टर हो या इंजीनियर ,लड़का लायक हो या नालायक पर दहेज का इन चीजों से कोई लेना देना नहीं है “
एक मशहूर फेमिनिस्ट लेखिका लिखती हैं ” Now Dowry Demand is Omnipresent Syndrome Irrespective of Modernity, Educational, Economical, Social status of Grooms Family ” यानि कि अब दहेज सर्वत्र पाया जाने वाला एक रोग है और इसका मॉडरनाइजेशन, या लड़के के परिवार के शैक्षिक, सामाजिक या आर्थिक हालात से कोई लेना देना नहीं है।

दरअसल मंजुला के ससुराल वाले 20 – 25 लाख रुपये की डिमांड कर रहे थे ताकि कोई बिजनेस खोल सके और मंजुला को पीएचडी छोड़कर भोपाल आने को कह रहे थे। इन बातों का खुलासा उनकी वाट्सएप पर अपनी छोटी बहन के साथ की गई लास्ट चैट से हुआ है जिसमें मंजूला की बहन तलाक की बात करती है।
मंजुला के पिता ने घटना के बाद हिंदुस्तान टाइम्स को दिये गए इंटरव्यू में कहा” मुझे मंजुला को आईआईटी में पढ़ने के लिए नहीं भेजना चाहिये था बल्कि वो पैसे दहेज के लिए जोड़ने चाहिए थे ।” मंजुला इस दहेज की सर्वत्र व्याप्त प्रथा से हार गई और समाज के दोगले रवैय्ये का सामना करने से ज्यादा आसान उसे अपना जीवन समाप्त करना ही लगा।
कब तक पत्नी और शादी घर बनवाने से लेकर, बिजनेस शुरू करने के लिए दहेज द्वारा पैसे हासिल करने का सबसे सरल रास्ता बनी रहेगी। अब समय आ गया है कि मुंह बंदकर समाज के दोहरे मापदंडों और खोखली समाजिक व्यवस्थाओं के आगे घुटने टेकने की बजाय अपनी जान देकर नहीं बल्कि कानूनी प्रक्रिया की शह लेकर उन दोषियों को सजा दिलवाइ जाए।
The post मंजुला की मौत के ज़िम्मेदार सिर्फ उसके ससुरालवाले नहीं, हम भी हैं appeared first and originally on Youth Ki Awaaz, an award-winning online platform that serves as the hub of thoughtful opinions and reportage on the world's most pressing issues, as witnessed by the current generation. Follow us on Facebook and Twitter to find out more.