माँ घर में घूंघट तेरा साथी,
फिर क्यों शौच खुले में जाती ?
बहू- बेटियां दूर ना जाएं,
घर में शौचालय बनवाएँ।
हर घर में शौचालय बनवाएँ,
बहू- बेटियों को सुरक्षित बनाएं।
उत्तर भारत के अधिकतर गाँवों में दीवारों पर इसी तरह के स्लोगन देखने को मिल जाएँगे। इन्हें देख कर हर बार यही सोचता हूँ कि शौचालय क्या सिर्फ स्त्रियों की इज़्ज़त से जुड़ा मसला है! अगर बहू- बेटी सड़क पर बैठ के शौच करती है तो इज़्ज़त घटती है, तो क्या घर के पुरुष अगर सड़कों पर खुले आम शौच या पेशाब करते हैं तो इज्ज़त बढ़ जाती है?
इसमें कोई शक नहीं कि हर घर में शौचालय होने चाहिए पर क्या ये सिर्फ स्वच्छता और स्वास्थ्य के नाम पर नहीं बनवाए जा सकते ? आपको एकबार ये लग सकता है कि अगर इज़्ज़त का हवाला देकर ही शौचालय बन रहे हैं तो इसमें हर्ज़ क्या है! मैं कहता हूँ हर्ज़ है। पहली बात तो शौचालय का इज़्ज़त से कोई संबंध होना नहीं चाहिए और अगर है भी तो सिर्फ स्त्री ही नहीं पुरुष कि इज़्ज़त भी इसमें शामिल हो।
हालाँकि मुझे पूरा यकीन है कि सरकार, समाज को बिना एक कदम पीछे ले जाए भी स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे ठोस कारणों को प्रमोट कर सकती है। इससे शौचालय भी बनेंगे और लोगों की ये मान्यताएँ भी टूटेंगी कि स्त्री घर की इज़्ज़त होती है, उसे ऐसे सरेआम बाहर नहीं जाना चाहिए।
अब एक और अहम बात आती है सुरक्षा की। लोग कहते हैं बलात्कार का खतरा है, छेड़छाड़ का खतरा है। आये दिन ऐसे कुछ मामले सामने भी आते रहते हैं लेकिन मैं इसे शौचालय से इसलिए नहीं जोड़ना चाहता क्यूंकि इस आधार पर तो हम ये भी कह सकते हैं कि कहीं भी स्त्रियों के अकेले जाने में खतरा है और उसे घर से अकेले बाहर नहीं जाना चाहिए। इसपर तमाम बहसें हो चुकी हैं कि स्त्री के बलात्कार का कारण सिर्फ और सिर्फ बलात्कारी से जुड़ा है ना कि स्त्री का शौच के लिए अकेले जाना या उसका पहनावा या कुछ और।
हम सब को ये समझने की जरुरत है कि हर घर में शौचालय होने चाहिए इसमें कोई शक नहीं पर उसे बनवाने के लिए या अहमियत समझाने के लिए बहू- बेटियों की इज़्ज़त का सहारा ना लिया जाए, स्वच्छता और स्वास्थ्य ही काफ़ी हैं इसके लिए।
The post शौचालय बनाइये सफाई के लिए, बेटी-बहू की इज्ज़त के लिए नहीं appeared first and originally on Youth Ki Awaaz, an award-winning online platform that serves as the hub of thoughtful opinions and reportage on the world's most pressing issues, as witnessed by the current generation. Follow us on Facebook and Twitter to find out more.