‘बीड़ी’ यानि कि गरीब लोगों के लिए सिगरेट का विकल्प। ग्रामीण इलाकों में बीड़ी उद्योग लाखों लोगों को रोज़गार मुहैय्या करवाता है। बीड़ी गरीबों के लिए सिगरेट का विकल्प तो बन गया लेकिन इस उद्योग में काम करने वाले कामगारों की सेहत दिन ब दिन बद्तर होती जा रही है। इसके साथ बीड़ी बनाने का काम करने वाले मज़दूरों को तय मज़दूरी भी बमुश्किल ही मिल पाती है।
101 reporters के हितेश शर्मा और अनिकेत सिंह ने बीड़ी उद्योग के बारे में और इसमें काम कर रहे श्रमिकों की गंभीर स्थिति को जानने के लिए कुछ समय छत्तीसगढ़ में बिताया।
Image may be NSFW. Clik here to view.लगभग 4 हज़ार लोग जिनमें अधिकतर महार जाति(अनुसूचित जाति) की महिलाएं हैं, छ्त्तीसगढ़ के दुर्ग, राजनंदगांव और धमतारी ज़िले के बीड़ी इंडस्ट्री में काम करते हैं। वो दो घंटे के शिफ्ट में काम करती हैं, 9 बजे सुबह से 11 बजे तक।Image may be NSFW. Clik here to view.एक अनुमान के मुताबिक भारत में 7000 करोड़ से 7500 करोड़ का बीड़ी उद्योग है। सबसे ज़्यादा बीड़ी फैक्ट्रीज़ छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड के अनुसार भारत में लगभग 2 हज़ार बीड़ी बनाने वाली कंपनियां हैं। इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले 80 लाख लोगों में से 70% महिलाएं हैं, जो ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से आती हैं।Image may be NSFW. Clik here to view.महिलाओं को एक हज़ार बीड़ी रोल करने के लिए महज़ 88 रुपये मिलते हैं। हालांकि उन्हें इतने कम पैसे पर काम करना अच्छा नहीं लगता लेकिन दूसरा कोई और रास्ता नहीं होने की वजह से वो लगातार ये काम कर रही हैं। उनका कहना है कि कम से कम इस काम की वजह से हर हफ्ते एक रेग्यूलर इनकम तो है। वो ये भी बताती हैं कि वो इतनी पढ़ी लिखी नहीं हैं कि उन्हें कोई दूसरा काम मिल सके।Image may be NSFW. Clik here to view.छत्तीसगढ़ के हर ज़िले में मज़दूरों को कच्चा माल सप्लाई करने के लिए कॉन्ट्रैक्टर्स हैं। दुर्ग में दो कॉन्ट्रैक्टर के पास दो कमरे हैं जहां महिलाएं जमा होकर हर दिन बीड़ी रोल करती हैं।Image may be NSFW. Clik here to view.बीड़ी तेंदु की पत्तियों से बनाया जाता है। पानी में भिगोने के बाद उसे आयताकार (रेक्टैंग्यूलर) शेप में काटा जाता है। हर बीड़ी के बीच में तंबाकू का मसाला भरा जाता है और फिर धागे से बांध दिया जाता है। अलग-अलग ब्रांड की बीड़ियों का साइज़ अलग-अलग होता है।Image may be NSFW. Clik here to view.मज़दूरों को हाथ या मुंह की सुरक्षा के लिए दस्ताने या मास्क तक नहीं दिए जाते हैं। इस लापरवाही की वजह से हमेशा त्वचा रोग और माहवारी में अनियमितता का खतरा बना रहता है। ना तो सरकार ने इस मामले पर कभी कुछ कहा है और ना ही मज़दूरों ने कभी इसकी कोई मांग की है।Image may be NSFW. Clik here to view.36 साल की अनीता बेलगे 6 साल से बीड़ी रोल कर रही हैं। वो बताती हैं कि उनके पति ज़्यादा नहीं कमाते हैं और इसलिए उन्हें इस इंडस्ट्री में आना पड़ा। बेलगे ये भी बताती हैं कि उन्हें अब सांस लेने में तकलीफ होती है और हथेली में लगातार खुजली होती है। ये जानते हुए भी कि काम के बदले काफी कम मेहनताना मिलता है, बेलगे ये काम नहीं छोड़ सकती क्योंकि उसे और कोई काम नहीं आता।Image may be NSFW. Clik here to view.भिलई के पास कोश नगर की रहने वाली 49 साल की जीजाबाई शिंदे ने बचपन में ही बीड़ी रोल करना सीख लिया था। वो बताती हैं कि उनकी मां भी बीड़ी इंडस्ट्री में काम करती थी, और वो भी अपनी मां के साथ हाथ बंटाने जाती थी। शिंदे ने पहले परिवार पालने के लिए ये काम शुरू किया था लेकिन अब खुद को व्यस्त रखने के लिए कर रही हैं। वो लगातार पैर में क्रैंप्स की शिकायत करती हैं लेकिन ये कहकर टाल जाती हैं कि उम्र बढ़ने पर ये दिक्कतें तो होती ही हैं।Image may be NSFW. Clik here to view.गड़चिरौली की 50 साल की कलाबाई बागड़े, अपनी शादी के बाद छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले के हरना बंधा गांव आई थीं। हाथों में बीड़ी रोल करने की वजह से लगातार हो रही खुजली के बाद भी कलाबाई जीवनयापन के लिए ये काम कर रही हैं। कलाबाई की तरह ही बहुत सी महिलाएं अपना घर चलाने के लिए, कुछ पैसों के खातिर बीड़ी रोल कर रही हैं।