अकसर जब बात प्रेम की होती है, तो हंगामा ज़रूर बरपता है और जब बात समलैंगिक प्रेम की हो तो हंगामा ही हंगामा होना है। जी, मैं बिलकुल स्टीरियोटाइप वाली बातें कर रही हूं, क्योंकि हमारा समाज स्टीरियोटाइप का वह स्टोर है, जहां आपके जीवन पर सवाल उठाने वाले अलग-अलग वरायटी के स्टीरियोटाइप्स मिल जाएंगे। खैर, बात ज़्यादा इधर-उधर ना घुमाते हुए और ज़्यादा क्रांतिकारी लाइने ना लिखते हुए मैं सीधे मुद्दे पर आती हूं।
↧