कभी-कभी जब जीवन बेहद निराश लगने लगती है, तब आप अपनी छवि किसी-ना-किसी व्यक्तित्व में ढूंढने लगते हैं और उनसे जुड़ाव महसूस करने लगते हैं। कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ, जब मैंने अमृता प्रीतम को पढ़ा। मेरे जीवन में अनेक परेशानियां थीं, तब मेरे एक करीबी दोस्त ने मुझे अमृता की कुछ कविताएं भेजीं। उनमें से एक कविता का शीर्षक था “सिगरेट” और दूसरा “मैं तुझे फिर मिलूंगी”। अमृता प्रीतम।
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