क्या सही और गलत के बीच भी कुछ है? क्या यह ज़रूरी है कि किसी मुद्दे पर आपका कोई एक पक्ष हो? क्या इसके मझधार या इसके अलावा भी कोई विकल्प होते हैं? ये सवाल हैं, जो हमें खुद से पूछने चाहिए। मौजूदा हालात देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि आज हमारे देश में ऐसे लोगों की तादाद बढ़ गई है, जो बिना कुछ सोचे-समझे सीधा निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं और इसी के चलते मानवता के सारे उसूलों को तार-तार कर देते हैं। आज देश एक...
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