कुछ रोज़ पहले अपने छोटे से शहर की रामलीला को सालों बाद देखा। आज भी बचपन में पापा के कंधों पर बैठकर देखी जाने वाली रामलीला और रावण दहन की यादें कुछ वैसी ही खिल उठती हैं। खैर, इन सालों की थोड़ी बहुत पढ़ाई-लिखाई के बाद एक चीज़ ज़ाहिर हो जाती है कि आज भी कैकेयी, सीता और सारे स्त्री किरदार पुरुष निभाते हैं, खासकर छोटे शहरों में। और ये किरदार बेहद गरिमा के साथ निभाए जाते हैं, अगर स्तर अच्छा हो तो। कुछ ऐसा...
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