नौ बरस की उम्र थी मेरी, जब मैंने दादी के संग ‘एक दूजे के लिए’ फिल्म देखी थी। डैड और माँ दोनों वर्किंग होते थे, तो मेरी दादी भी मेरा खूब ख्याल रखती थीं। सच कहूं तो दादी मेरी पहली सहेली थीं। मेरे इम्तहान जब खत्म होते, वह मुझे इलाहाबाद से दिल्ली-पंजाब-बनारस घुमाने के लिए ले जातीं। वहां मेरी बुआ-मौसी और चाचा रहा करते थे। दादी की बात करना स्मृतियों का पिटारा खोल बैठना है पर आज बात करूंगी...
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