हमने देखा हर हाथ यहां एक सूरज है हर कदम यहां अमिट इतिहास-चरण है इन्होंने गढ़ डाला है एक नया सूरज धरती पर उगाये हैं यहां अनगिन/रक्त कमल परती पर इन पंक्तियों के कवि और प्रख्यात आलोचक डॉ. खगेन्द्र ठाकुर आज यहां पटना के विद्युत शवदाह गृह की चिमनी से निकलते गाढ़े धुएं में कायांतर होते हुए हमारी भौतिक परिधि से परे अनंत विस्तार में विलीन हो गए। यह उतना ही बड़ा सच है, जितना बड़ा उनके व्यक्तित्व और कृतित्व...
↧