वैसे तो बॉलीवुड हमेशा से पितृसत्ता के अधीन रहा है। इसने कहीं से भी एक असहाय और बेबस से पुरुष अभिनेता से हमारा राब्ता नहीं करवाया। हां! हमको मदर इंडिया और दिल के अरमां को आंसुओं में बहाने वाली सलमा आगा तो याद हैं। या फिर वह विदाई वाला गीत “बाबुल का यह घर गोरी, कुछ दिन का ठिकाना है” जो पल्लवी जोशी पर फिलमाया गया था। याद कीजिए ज़रा इनकी स्थिति और देखिए बॉलीवुड पर मर्दवाद का असर कितना महसूस होगा।
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