पितृसत्ता! साधारण शब्दों में इसे ‘पिता का शासन’ यानी कि मर्दों का शासन कहते हैं। इसमें महिलाओं का क्या स्थान हुआ? एक अबला नारी, समाज में पिछड़ी हुई एक असहाय शक्ति? हां, शायद हर दूसरा पुरुष यही सोचता है मगर मैं नहीं, बिल्कुल भी नहीं। मेरा मानना है कि महिलाएं पुरुषों से अधिक बलशाली और निष्ठावान भी हैं। किसी भी धर्म के चश्मे से देखने पर चीज़ें एक ही रुप में दिखाई पड़ती हैं। अपने परिवार में ही देख...
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