आपको आनंद फिल्म का वो मशहूर संवाद याद है? “ये दुनिया एक रंग मंच है और हम सब इसकी कठपुतलियां।” सच ही तो है हर कोई यहां किरदार निभाने के लिए आता है और अपनी भूमिका पूरी होते ही इस रंगमंच को छोड़कर चला जाता है। हमारे बीच कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें ढेर सारे किरदार निभाने होते हैं कभी दिग्गज साहित्यकार, तो कभी अभिनेता और कभी एक समाजिक कार्यकर्ता। ऐसे ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे भीष्म साहनी।
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