पिछले दो-तीन दिनों से मैंने कुछ वेब सीरीज़ देखी हैं। इसे आप खाली समय का इस्तेमाल कह सकते हैं। इंसानी फितूर एक दिन में किसी सीरीज़ के एक के बाद एक सारे एपिसोड देख डाले। वो क्या है ना सब्र कम हो पाता है जब कोई कहानी आपको पसंद आ जाती है, उसके सारे एपिसोड आपके सामने हो तब तो ऐसा और भी होता है। यह ऐसा ही होता है जैसे प्लेट में रखे आलू के पराठे को हम जल्दी-जल्दी खाना चाहते हैं। और पढ़ें: क्या ओटीटी...
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