आस्तिक की मौत से उसकी तेहरवीं तक संध्या की ज़िन्दगी कैसे बदलती है? पगलैट और भी कई गंभीर मुद्दों को बहुत ही हलके-फुल्के अंदाज़ में कहती है। नेटफिलिक्स पर हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म पगलेेट में निर्देशक उमेश विष्ट ने जो कहानी सुनाई है उससे कम शब्दों में कहूं तो समाज की हिपोक्रेसी पर तल्ख टिप्पणी है। जो हमारे सामाजिक जीवन में रच-बस गया है। सबसे धारदार तल्ख टिप्पणी यह है कि “लड़की के लिए पूरी दुनिया सोचत...
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