डोर वह होती है, जो दो अलग-अलग अस्तित्वों को जोड़ती है। वो निर्जीव को जोड़ती है और सजीव को भी जोड़ती है। वह आत्मा को भी जोड़ती है, आत्मा ही वह अस्तित्व है, जो निर्जीव को सजीव बनाता है। एक डोर जीवन को भी जोड़ती है। वह दोस्ती की डोर ही होती है, जो एक-दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खाने वाले मित्रों को बांधे रखती है। वह संस्कारों की डोर होती है, जो एक पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी से जोड़े रखती है। वह माँ क...
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