हिंदी की जो वर्तमान हालत है, उसके बंटाधार के कारण खुद उसके लेखक ही हैं। जबकि वह कहते हैं कि आजकल कोई हिंदी को नहीं पढ़ता है, इस वजह से हमारी किताबें नहीं बिकती हैं वरना हम तो बहुत अच्छा लिखते हैं। उनका यह अच्छा लेखन ही आज हिंदी की इस दयनीय हालत का ज़िम्मेदार है। दरअसल, यह लोग कुछ ज़्यादा ही अच्छा लिख देते हैं। इतना कि पढ़ने वाले को ही समझ ना आए कि वह पढ़ क्या रहा है? उसे लगता है कि वह शायद हिंदी नह...
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