नौशाद थियेटर जगत की पृष्ठभूमि वाला उपन्यास है .एक नव विधवा पर पारिवारिक दबाव, संपति के उद्देश्य से पारिवारिक कलह की शिकार और बेदखल, नैसर्गिकता को रोकते दिख रहे रीति-रिवाज़ को तोड़ने और अनैतिक सम्बंध के अंत की कहानी है। जीवन के नैसर्गिक मार्ग को अवरुद्ध करना ही विवाद-अवसाद और कलह का कारण होता है। प्रेम के पास आंखें नहीं होती, तर्क नहीं होता, समर्पण होता है और वह ना शोहरत देखता है ना खानदान के कद क...
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