“विक्रमजिर्तस्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता सद्भाव” अर्थात साहस और सामूहिक प्रयासों द्वारा इस संकटकाल पर हम विजय प्राप्त कर सकते हैं। अतः अपने विचारों को शुद्ध और दिव्य रखें। एक आशावादी दृष्टिकोण, मज़बूत इच्छाशक्ति और आध्यात्मिक मानसिकता हमें कठिन से कठिन चुनौतियों को पार करने में सहयोग प्रदान करती है। दुःख का मूल कारण अज्ञानता है। वर्तमान युग में लोग धर्म से दूर होते जा रहे हैं। जितना हम सुख की तरफ...
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