‘ग्रहण’ की रिलीज ने हिंदी लेखकों की आंखों में कई बड़े सपने डाल दिए होंगे। जहां सत्य व्यास के नॉवेल में सिर्फ एक कालखंड यानी चौरासी के दंगे हैं, तो वहीं वेब सीरीज़ में पूरी कहानी दो कालखण्डों में चलती है। एक कालखंड लगभग चौरासी के सिख दंगों वाला सत्य व्यास के नॉवेल के आस-पास है, तो दूसरे कालखंड में उसी कहानी को बखूबी आगे बढाया गया है। ऐसा नहीं है कि अगर आपने चौरासी पढ़ ली है, तो ग्रहण नहीं देखनी चाहिए।
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