वनों और जंगलों से आदिवासियों का बहुत गहरा रिश्ता है। स्वयं आदिवासी शब्द की अवधारणा, उनकी आत्मकथा और अस्मिता जंगलों से परिभाषित होती है। आदिवासी स्वयं को जंगल एवं प्रकृति का संरक्षक मानते हैं। वे जंगलों, नदियों, पहाड़ों को अपने पुरखों और संबंधी समान मानते हैं। आदिवासियों के गीत, हमारी कहानियों और नीतियों और उनका पूरा जीवन जंगल से जुड़ा हुआ है। आदिवासी यह मानते हैं कि जंगल उगाए नहीं जा सकते सिर्फ...
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