एक दिवाली ऐसी भी ! मैं जिस महिला की बात कर रहा हूं, वो हनुमानगडी मंदिर पर रोज़ कुछ खाने की तलाश में आती हैं और ये पीली साड़ी पहनती हैं, क्योंकि इनके परिवार ने इन्हें निकाल दिया है। इनको यह लगता है कि इनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं और संस्कारों के हिसाब से इन्हें अब श्वेत या पीली साड़ी ही पहननी चाहिए। वो कुछ दिनों से सड़क पर ही सोती हैं और उनको हर रोज़ ठंडी लगती है। ठंडी से बचने के लिए वो अक्सर...
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“योगी जी, दीपोत्सव में करोड़ों रुपये ना खर्च करके काश ठंड में ठिठुरते गरीबों के लिए आप कुछ कर पाते”
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