नए विकल्पों की तलाश में जब जां निसार अख्तर भोपाल से बंबई आए, तो पत्नी साफिया वहीं भोपाल में रुक गईं थीं। आपके साथ आपके बच्चे सलमान एवं जावेद अख्तर भी थे। साफिया हमीदिया कॉलेज में दी जा रही सेवाओं को ज़ारी रखना चाहती थीं। आप वहां पढाया करती थीं और आप जानिस्सार से बराबर खतो-किताबत करती रहती थीं। कभी-कभार तो हफ्ते में दो खत लिखना हो जाता था। इन खतों में जज्बा-ए-मुहब्बत एवं हिम्मत बढ़ाने का दम था। अभ...
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