By Khabar Lahariya:

सावन की एक शाम को बंगलोर शहर के सम्सा थिएटर में जमा लोग मदहोश होकर थिरक रहे थे। भोजपुरी रानी कल्पना पटोवरी अपनी मंडली के साथ मंच पर एक से बढ़कर एक पुरबिया धुनें सुना रही थीं। यह शाम उन लोगों के नाम थी तो यू पी और बिहार से हजारों किलोमीटर दूर बंगलोर में काम करने और रहने आए थे।
पुरबिया तान कार्यक्रम का आयोजन किया था मरा नाम की संस्था ने। मरा से जुड़ी एकता ने बताया कि हजारों मजदूर हर साल यू पी और बिहार से काम करने बंगलोर आते हैं। हमने इन मजदूरों तक पहुंचने के लिए कल्पना की धुनों और गानों का जरिया खोजा। हम चाहते थे कि यू पी, बिहार से आए ये लोग जानें कि ये शहर उनके बारे में भी सोचता है।
खबर लहरिया की मुलाकात कल्पना से इसी पुरबिया तान कार्यक्रम में हुई। असम की कल्पना ठेठ यू पी, बिहार के गाने कैसे गाने लगी?
"सच बताऊं तो मुझे उस वक्त पता भी नहीं था कि मेरा भोजपुरी में गाया पहला गीत इतना मशहूर हो जाएगा और मैं भोजपुरी रानी बन जाऊंगी। मुझे पहली बार टी-सीरीज की तरफ से भोजपुरी में होली के गीत गाने का मौका मिला। कुछ महीनों बाद पता चला कि वह गाना मशहूर हो गया है। टी-सीरीज ने मेरे साथ एक और प्रोजेक्ट करने का एक नया करार मुझसे किया। बस यहीं से मैं बन गई भोजपुरी रानी।"
तन- मन में आग लगाने वाली भोजपुरी की रंगीन, रसीली फिल्मों तक कल्पना का सफर कैसा रहा? "हां, मैंने कई आइटम नंबर के गाने गए, ऐसे गाने गए जिनके शब्द अश्लील समझे जाते हैं। भोजपुरी गानों का यह हिस्सा है। मेरे कई गाने मशहूर हुए लेकिन ‘सइयां जी दिलवा मांगेले गमछा बिछाई के’ और ‘एगो चुम्मा लेले रजा जी’ ने तो धूम ही मचा दी। मैंने कई डाकुओं और बडे बड़े अपराधियों के सामने भी गाया है। भीड़ में गाने पर तो गोली चलना आम बात है। दबंगई! मैंने जब पंद्रह साल पहले गाना शुरू किया तो लोग पहले मुझे बुरी नजरों से देखते थे, मगर अब लोग मेरा बहुत सम्मान करते हैं। मैं लोकगीत, भजन और कजरी, सभी कुछ गाती हूं।
भोजपुरी में भिखारी ठाकुर मेरे पसंदीदा शख्स रहे। इनके कई लोकगीतों को मैंने गाया। इनका एक नाटक है बिदेसिया। इसमें एक लोकगीत है – प्यारी देश तनी देखे दा हमके – मुझे जाने दो प्यारी, देश देखने दो मुझे। विरह और बिछड़ने के कई गाने हैं भोजपुरी की दुनिया में क्यूंकि यहां से लोग हमेशा जाते हैं – दुनिया के हर कोने में। इनके जाने पर जो बिछड़ने का दर्द होता है, वो दर्द मैं अपने गानों के शब्दों और धुनों में लाती हूं।"
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