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Channel: Culture-Vulture – Youth Ki Awaaz
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बगदादी को 19 बार मार चुके भारतीय मीडिया को डबल सैल्यूट

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India is the biggest democracy of the world! बचपन से सुनते और पढ़ते आए हैं। इस बात पर गर्व महसूस करते आए हैं कि हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में जी रहे हैं, जो हमारी आज़ादी की गारन्टी देता है। पर एक सवाल मन में उठता है कि क्या लोकतंत्र, लोकतंत्र बना रह पाएगा? या इतिहास के पन्नों पर बस छाप दिया जाएगा और आने वाली पीढियां सिर्फ किताबों में ही इसे पढ़कर समझने की कोशिश करेंगी।

दिन-प्रतिदिन बढ़ रही सम्प्रदायिक घटनाऐं, दलित-अल्पसंखको पर होते हमले- देश की कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। धर्मनिरपेक्षता खतरे में है और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यानी कि मीडिया गिरने वाला है, सवाल पूछने वाले ही हुक्मरानों की पैरवी कर रहे हैं। हाल ही में हुए 180 देशों के मिडिया सर्वे में पता चला है कि भारत इसमें 136वें पायदान पर है, जो पिछले साल के मुकाबले 133वें से तीन स्थान लुढ़ककर 136 पर आ गया है। 3 स्थान गिरने के बाद भी भारतीय मीडिया खुश है, क्योंकि चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से अभी भी 3 स्थान ऊपर है।

पाकिस्तान गत वर्ष के 148वें से 9 स्थान के सुधार के साथ 139वें स्थान पर आ गया है, जो सबसे बड़े लोकतन्त्र की स्थिति को दर्शाता है। भारत की मौजूदा स्थिति में भारतीय मिडिया का बड़ा योगदान रहा है। न्यूज़ चैनलों में बैठे जांबाज़ एंकर किस तरह से पाकिस्तान की सैनिक चौकियों को ध्वस्त कर रहे है और चाइना को धूल चटा रहे है ये हम डॉक्टर की दवाई की तरह दिन में 3 बार तो ले ही लेते है। कुछ एंकर तो जजमेंट भी कर लेते हैं और सजा भी सुना देते हैं। इससे लगता है कि अब तो न्यायपालिका का कार्यभार भी इन एंकरों को दे ही देना चाहिए।

नेताओं की दैनिक जीवन की हर घटना को न्यूज़ चैनलो पर देखा जा सकता है, लेकिन अपना यूरीन पीते व चूहे खाते किसान किसी भी चैनल की सुर्खियां नहीं बनते। क्या न्यूज़ ऐंकरो के साथ-साथ दर्शकों की संवेदनाएं भी खत्म हो गई हैं? बहुत सी कोरी मिथ्या ख़बरें भी हमें अच्छी लग सकती हैं, लेकिन हर अच्छी लगने वाली बात में यथार्थ छिपा हुआ नहीं होता। भारतीय मिडिया कम से कम 19 बार बगदादी को मार चुका है और अब 20वीं बार तो बगदादी खत्म हो ही जाएगा और इसके साथ ही भारत में वो दिन ‘बीशहरा’ के त्यौहार के रूप में मनाया जाएगा।

प्रिंट मिडिया भी इससे अलग नहीं है बहुत से बड़े अख़बार भी यही सब कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर तो एक क्रांति सी आ गई है देशभक्ति की। whatsaap, फेसबुक और ट्विटर पर हर रोज़ पाकिस्तान और चीन न जाने कितनी बार मुंह की खाते हैं, कुछ लोग तो इसे आंकड़ों के साथ भी प्रस्तुत करते हैं। जैसे भारत की आर्मी और पाकिस्तान की जनसंख्या की तुलना हो या चाइना क़े सामान को न खरीदकर चाइना को कितना बड़ा नुकसान हो रहा है, फिर भी ये दोनों देश समझते ही नहीं है। सलाम है मेरा ऐसे देशभक्त मित्रों को। पाठकों व दर्शको को यह समझना होगा कि हमें खबर मनोरंजन के लिए देखनी है या वास्तविकता जानने के लिए!

The post बगदादी को 19 बार मार चुके भारतीय मीडिया को डबल सैल्यूट appeared first and originally on Youth Ki Awaaz, an award-winning online platform that serves as the hub of thoughtful opinions and reportage on the world's most pressing issues, as witnessed by the current generation. Follow us on Facebook and Twitter to find out more.


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