साल 2018 के आखिरी महीने की बात है। किसी सुबह करीब ग्यारह-साढ़े ग्यारह बजे का समय रहा होगा। मैंने अपने मोबाइल से मुंबई के एक लैंडलाइन नंबर पर फोन लगाया। घंटी बजी। एक महिला ने फोन उठाया। अभिवादन के बाद मैंने अपना परिचय दिया और कहा, “क्या मेरी बासु दा से बात हो सकती है?” महिला ने जवाब दिया, “वे अब फोन पर किसी से बात नहीं करते।” इस पर मैंने उन्हें कहा, “क्या उनसे मिलने का समय मिल सकता है?
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