अब मुझे खुली सांस लेनी है मुझे मेरे हिसाब से ज़िन्दगी जीनी है बहन, बेटी, बीवी और मां के अलावा मुझे अब खुद अपनी पहचान बननी है मेरे हक़ और अधिकार की अब मुझे खुद लड़ाई लड़नी है। अब बहुत हो चुका घुट-घुट कर जीना अब बहुत हो चुका ताने सुनना अब बहुत हो चुका किसी की झूटी इज़्ज़त बनना और उसे संभालना अब बहुत हो चुका अन्याय और अत्याचार को सहना अब मुझे मेरी आज़ादी की पहल करनी है मुझे मेरे हिसाब से ज़िन्दगी जीन...
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