“यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम ।। परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे ।।” “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता, चत्रैनास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्त्राफला: क्रिया:।” मानव ही सृष्टि का केंद्र बिंदु है लेकिन विडंबना यह है कि आज सबसे ज़्यादा उपेक्षित कोई प्राणी है तो वह मानव ही है। शक्तिशाली देश, समुदाय और...
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